पंचायत और पंचायत सचिव

August 22, 2023

(ग्राम पंचायत भुकाना की एक छोटी सी कहानी)

रोहित धनकर

आप में से कई लोगों ने ओटीटी पर “पंचायत” नाम का सीरियल (या जो कुछ भी उसे कहते हैं) देखा होगा। उसे सराहा भी होगा। वह वास्तव में काफी अच्छा है। उस में एक प्रधान (राजस्थान में सरपंच जैसा जनप्रतिनिधि) है, जो एक महिला है। सब काम उसका पति देखता है, और उस के पति को ही सब प्रधान जी मानते हैं। ये “प्रधान जी” थोड़े काइयाँ पर मूलतः अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं। और विपक्ष काफी खराब। पर मैं जिस मुख्य बात पर ध्यान दिलवाना चाहता हूँ वह यह कि वह सारी कहानी एक ईमानदार युवा सचिव की नजर से है। किसी आम नागरिक की नजर से नहीं।

मुझे आम नागरिक की तरफ से आज एक पंचायत सचिव (ग्राम पंचायत भुकाना, झुंझुनू, राजस्थान) से मिलने का मौका मिला। इस में पंचायत सीरियल से कई समानताएं हैं। सचिव एक युवा व्यक्ति हैं। नयी हैं। सरपंच एक महिला हैं, पर सब जगह उन के लिए “सरपंच प्रतिनिधि” के रूप में उनके पति ही जाते हैं, काम करते हैं। ये  “सरपंच प्रतिनिधि” भी बहुत भले इंसान हैं। पर काइयाँ नहीं। वास्तव में निर्णय ये भी नहीं लेते, कोई और ही है जो लेता है।

हुआ यूं कि किसी साधारण से जमीन के मामले में ग्राम पंचायत ने एक प्रस्ताव लिया, इन मामले में मैं भी एक पार्टी हूँ। किसी ने कोई जानबूझ कर बदमासी नहीं की, पर कुछ गणना की गलती हो गई। मुझे उसे दुरुस्त करवाने के लिए अन्य दस्तावेजों के साथ ग्राम पंचायत के इस प्रस्ताव की प्रति की भी जरूरत थी। साथ ही मैंने इंटरनेट पर देखा की मेरे गाँव में कुछ निर्माण कार्यों के लिए बजट आए हैं, पिछले 2-3 साल में। उन में से कुछ काम तो हुए ही नहीं, जो हुए उन में लागत कुछ ज्यादा ही लगी। साथ ही इस वर्ष गाँव के विद्यालय के लिए एक ट्यूब वेल के लिए भी बजट आया है। मैंने सुना था कि पहले भी एकबार विद्यालय में ट्यूब वेल के लिए बजट आचूका है, पर वह वैसे ही शायद पैसा वापस चला गया, काम नहीं हुआ। तो मैंने एक दूसरा आवेदन मेरे गाँव (श्री अमरपुरा) में ऐसे सभी कामों की जानकारी के लिए भी कर दिया।

मैंने शुक्रवार को सचिव से फोन करके पूछा कि वे कार्यालय में कब मिल सकती हैं। उन का कहना था कि मैं सोमवार को आजाऊँ, वे रोज ही 10:30 से 4:30 तक बैठती हैं। फिर रविवार को उनका फोन आया कि मैं मंगलवार को आऊँ, क्यों कि सोमवार को उन्हें चिड़ावा (पंचायत समिति मुख्यालय) जाना पड़ेगा। मुझे आश्चर्य और प्रसन्नता दोनों हुईं। कि एक आम अनजान व्यक्ति को दिये गए समय में तबदीली का उनको खयाल रहा। यह सरकारी अधिकारी के लिए मुझे बहुत बड़ी बात लगी। मैंने सोचा ये भी कोई युवा पारदर्शिता से काम करने वाली अधिकारी हैं।

तो मैं आज मंगलवार को उनके कार्यालय गया। मैंने पहले अपने निजी दस्तावेजों की सूची वाला आवेदन उनको दिया। उस में उन्हों ने बड़ी तत्परता से मेरे द्वारा चाहे गए प्रस्ताव को ग्राम पंचायत की बैठक की कार्यवाही में मुझे दिखाया और पूछा कि क्या मैं उसी की प्रति चाह रहा हूँ। मेरे हाँ कहने पर उन्हों ने कहा कि उनकी प्रति-लिपि मशीन में तो बहुत खराब अपठनीय प्रति बन पाएगी। मैंने कहा मैं बाहर से करवा लाता हूँ। पर स्वाभाविक रूप से वे ग्राम पंचायत का दस्तावेज़ एक अनजान व्यक्ति को नहीं दे सकती थीं। सौभाग्य से परपंच-प्रतिनिधी भी वहीं थे। मैंने सुझाया कि इनको देदो, मैं गाड़ी में साथ लेजा कर प्रति बनवा लाऊँगा। वे मान गईं। हम प्रति बनवा कर ले आए। मुझे प्रति बनवाने के पैसे भी सरपंच-प्रतिनिधी ने नहीं देने दिये, खुद ही दिये।

वापस आकार जब वे प्रस्ताव की आधिकारिक प्रति बनाने लगीं तो मैंने दूसरा आवेदन (श्री अमरपुरा में काम और बजट आदि वाला) उनको दिया। और कहा कि ये दस्तावेज़ भी दिलवा दें। उन्हों ने आवेदन देखा और कहा यह ग्राम पंचायत की गोपनीय जानकारी है, हम नहीं दे सकते।

मैं: पर यह तो आम जानकारी है। मैं यहाँ का निवासी हूँ, मेरे गाँव में काम और उनका बजट है। यह जानना तो मेरा हक़ है।

सचिव: नहीं, यह गोपनीय जानकारी है। आप सूचना के अधिकार के तहत कहीं और आवेदन करें, वहाँ से आज्ञा आने पर देदेंगे।

मैं: ठीक है, आप आवेदन लेलें, और उसकी प्रति जो मेरे पास रहेगी, उस पर लिखदें कि यह जानकारी ग्राम पंचायत से नहीं मिल सकती, मुझे सूचाना के अधिकार के तहत आवेदन करना पड़ेगा।

सचिव: मैं आवेदन लेलुंगी, पर कुछ भी लिख कर नहीं दूँगी।

मैं: ठीक है, आप आवेदन लेलें और मुझे इस की प्रतिलिपि पर प्राप्ति रसीद देदें।

सचिव: नहीं, मैं प्राप्ति रसीद भी नहीं दूँगी।

मैं: आप सरकारी अधिकारी हैं, मैं कुछ आवेदन कर रहा हूँ, आप को लगे कि आवेदन में चाही गई जानकारी नहीं दी जासकती तो मत दें। पर प्राप्ति की रसीद तो दें।

सचिव: नहीं, मैं नहीं दूँगी।

मैंने कुछ आवेदन तहसीलदार, उप-जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर के यहाँ भी किए हैं, सब ने मुझे प्राप्ति रसीद या तो स्वयं दी या अपने सचिव से दिलवाई। पर इन सचिव महोदया ने साफ माना कर दिया। मैं जानता हैं, आप सब की तरह, कि सरकारी अधिकारी अपने गुरूर में काम भी नहीं करेंगे, और लिख कर भी नहीं देंगे। यह आम बात है। यही तरीका इन्हों ने अपनाया।

मैं: अच्छा यह बतादें की सूचना के अधिकार के लिए आवेदन किस अधिकारी के पास करूँ?

सचिव: आप जानते होंगे। आप को पता भी है कि ये सूचना के अधिकार से ही मिलेगा, आप सिर्फ यहाँ हंगामा करने आए हैं।

यह भी आरोप कि मैं दिखाना चाहता हूँ कि मैं क्या चीज हूँ। यह शुद्ध बदतमीजी थी।

खैर। मैंने इस के बाद उन से प्रस्ताव की प्रति (जो हम बाहर से बनवाकर लाये थे) मांगी। उन्हों ने किसी से फोन पर बात की और कहा कि यह भी नहीं देंगी। मुझे यह भी, जो मेरे बारे में है, सूचना के अधिकार से ही मिलेगी। खैर मैंने सरपंच के घर जा कर उनको दस्तावेजों के लिए आवेदन दिया, उनके पति ने उन से प्राप्ति रसीद भी दिलवादी।

यह किस्सा मैंने इस लिए लिखा कि सचिव सिरे से गलत थीं।

एक, जो दस्तावेज़ मैंने मांगे थे इन में से कुछ तो सार्वजनिक तौर पर राजस्थान सरकार की साइट पर हैं। कोई सरकार गोपनीय दस्तावेज़ सार्वजनिक साइट पर अपलोड नहीं करती। यह मुझे पता था। इसी लिए मैंने उन से आग्रह किया कि ये गोपनीय नहीं हैं।

दो, घर आ कर मैंने राजस्थान सरकार के पंचायती राज विभाग की साइट से पंचायती राज नियमों की प्रति डाउनलोड की। इस में नियम 321 से 331 तक पढ़ने से पता चलता है कि कोई भी व्यक्ति या स्वयं सेवी संस्था ये सूचनाएँ बहुत थोड़ा शुल्क दे कर देख सकता है, वहाँ बैठ कर नोट्स ले सकता है, और 200 शब्दों पर 2 रुपये के हिसाब से शुल्क दे कर प्रतिलिपि ले सकता है। इस में सूचना के अधिकार में जाने की जरूरत नहीं है। सचिव ने मुझे गलत सूचना दी। यह मानना मुश्किल है कि उनको ये नियम पता नहीं थे। मैंने कई बार पूछा भी कि वे वह नियम बताएं जिस के तहत ये सूचनाएँ गोपनीय हैं। वे झगड़ालू अंदाज में मेरे से पूछने लगीं कि मैं नियम बताऊँ जिसके तहत ये गोपनीय नहीं हैं।

तो पंचायत सिरियल आम जन की दृष्टि से ऐसा भी दिख सकता है।

एक चीज में मैं निश्चित नहीं हूँ: क्या कोई सरकारी अधिकारी आवेदन ले कर प्राप्ति रसीद देने से इनकार कर सकता है? इस के बारे में मुझे कहीं कोई नियम नहीं मिला। कोई जानकार व्यक्ति इसे पढ़े तो कृपया उचित संदर्भ किन्हीं नियमों का बताएं, राजस्थान के ही चाहिएँ। मुझे सहज बुद्धी से लग रहा है अधिकारी मेरे आवेदन को निरस्त तो कर सकता है, पर ले कर प्राप्ति रसीद से इनकार नहीं कर सकता। पर कोई ठोस नियम चाहिए।  

लिखने का एक कारण यह भी रहा है कि शायद इस को पचाने में मदद मिले। 😊

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22 अगस्त 2023