अराजकता को बढ़ावा मत दीजिए


(विशेष रूप से किसानों से आग्रह)
रोहित धनकर
कुलविंदर कौर के चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर कंगना राणावत को थप्पड़ मारने के बाद पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के बहुत से व्यक्ति और किसान संगठन उस के इस निकृष्ट कृत्य और अपराध की प्रसंसा कर रहा हैं। इसे उचित बता रहे हैं। उसे मदद कहने की और उस के लिये धरने आदि देने की बातें कर रहे हैं। मेरा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों से विशेष आग्रह है कि इस पर विचार करें।
बात कंगना या कुलविंदर की नहीं है। बात कुलविंदर के किसान की बेटी या जाट बेटी होने की भी नहीं है। (मैं नहीं जानता की उसकी जाती क्या है, और ना ही यह महत्वपूर्ण है।) बात ड्यूटी पर एक सुरक्षा कर्मी के भारतीय नागरिक और चुने हुए जनप्रतिनिधि को अकारण थप्पड़ मारने की है। जिन लोगों की सुरक्षा के लिए कुलविंदर की नौकरी लगी, उसे प्रशिक्षण मिला, और उसे वेतन मिलता है; उन्हीं में से एक को उसने शारीरिक तौर पर नुक़सान पहुँचाया, आक्रमण किया। यह सिर्फ़ कंगना को मारने की बात नहीं है। यह सुरक्षा कर्मी के विश्वास योग्य ना होने का मामला है। अपनी ड्यूटी के दुरुपयोग का मामला है।
इस देश में लोगों को अपने विचार अभिव्यक्त करने की आजादी है, पर आक्रमण करने की नहीं। राणावत के बयान किसान आंदोलन और उस में बैठने वाले लोगों के बारे में ग़लत हो सकते हैं। पर उस के लिये एक सुरक्षा कर्मी अपनी ड्यूटी का फ़ायदा उठा कर अनुशासनहीनता नहीं कर सकता।
यदि आप लोग इस कुकृत्य को उचित मानते हैं और आप थोड़ा भी तर्क समझ सकते हैं, तो आप को पता होना चाहिये कि ठीक यही तर्क गांधी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, लोंगेवाल और कई अन्य नेताओं की हत्याओं को भी उचित सिद्ध कर देता है। आप लोगों के बहुत बच्चे पुलिस, फ़ौज, और अन्य सुरक्षा एजेंसीज़ में है। आप उनको क्या संदेश दे रहे हैं, सोचिए। क्या आप देश को अराजकता की तरफ़ धकेलना चाहते हैं? यदि ऐसा करेंगे तो सब से अधिक नुक़सान आप का ही होगा। जिन लोगों ने देश के लिए इतना बलिदान किया है वही ऐसी बातें करें, यह बहुत की दुख की बात है।
किसान संगठन अपने आंदोलन में ख़लिस्तानी तत्वों की नियंत्रित नहीं कर पाये थे। ना ही उन को बाहर निकाला, ना ही उनकी खुलकर निंदा की। यह दुर्भाग्य पूर्ण था। किसान आंदोलन का तरीक़ा भी ग़लत था। उसको सहयोग और धन खालिस्तान समर्थकों से मिल रहा था। मोदी सरकार इस के सामने झुक गई, क्यों की उस की रीढ़ कमजोर थी। इस से आप लोगों को फिर से ऐसे चक्रों में आने से बचना चाहिए। फिर से आप ने कोई बखेड़ा किया तो आप फिर से देश विरोधी तत्वों को नियंत्रित नहीं कर पायेंगे।
किसी और देश में सुरक्षा कर्मी ने ऐसा किया होता तो ३० सेकंड्स में उस को पिन-डाउन करके हाथों में हथकड़ी लग जाती। कुलविंदर यहाँ भाषण देती और अपनी सफ़ाई देती घूम रही थी। यह भी हमारी सुरक्षा व्यवस्था की ही कमी है।
मैंने बहुत से ट्वीट्स देखे हैं जो इस बात को बढ़ावा दे रहे हैं। ये लोग या तो ना समझ हैं या धूर्त।
अंत में मोदी सरकार से: यदि आप अराजकता फैलाने वालों, उस के समर्थकों और उन्हें धन के लालच में उकसाने वालों पर निर्णायक करवाई नहीं कर सके, पिछले कार्य काल की तरह धमकी के आगे घुटने ही टेकते रहेंगे, तो लोग ठीक कह रहे हैं, आप का कोई इक़बाल (राज करने की ताक़त) नहीं रह जाएगा। आप के लिये देश चलाना असंभव हो जायेगा। कुलविंदर के पक्ष में आंदोलन की धमकी और असंख्य लोगों का प्रचार कि बीजेपी के पास ना जनादेश है ना ही इक़बाल, जुड़े हुए हैं। ये अराजकता फैलाना चाहते हैं। बीजेपी सरकार बंगाल में हिंसा नहीं रोक सकती, ग़ैर ज़िम्मेदार झूठ का प्रचार नहीं रोक सकती, कुलविंदर जैसों के पक्ष में ग़लत आंदोलन नहीं रोक सकती; तो फिर कर क्या सकती है? इसे क्यों राज करने दिया जाये?
कुलविंदर के मामले में जाटों का बहुत नाम लिया जा रहा है। मैं मानता हूँ कि सब जाट ऐसे नहीं सोचते। लेकिन यदि समझदार जाट चुप रहते हैं और इन जान बूझ कर अराजकता फैलाने वालों के विरुद्ध नहीं बोलते हैं, तो वे भी दोषी हैं। इन में एकाध लोग झूँझुनु ज़िले के भी हैं, जैसे @Saroj302 ये बहन जी। जो अमूमन बेवक़ूफ़ी की ही बात करती है। झूँझुनु मेरा भी ज़िला है। इन लोगों के पुप्रचार का विरोध करें। झूँझुनु के बहुत बच्चे फ़ौज और दिल्ली पुलिस में हैं, बहुत से तैयारी कर रहे हैं। इन को ग़लत संदेश और ग़लत सोच से बचायें।


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