आम तौर पर इस तरह की लफ्फाजी और अतार्किक भाषणों पर कुछ नहीं कहना चाहिए। पर एक मित्र ने मुझे सोचने समझने वाले लोगों के एक समूह में शामिल कर लिया। जब इस तरह की चीज को वहाँ भी सराहना मिलते देखा तो लगा दूसरे पक्ष की बात भी करनी चाहिए। दूसरा कारण यह कि, मेरे मन में बहुत दिन से है कि यदि कुछ विचारों को स्पष्ट रूप से गलत और जवाब के लायक न समझ कर छोड़ देते हैं तो उन्हें सही मान लिया जाता है बहुत लोगों द्वारा। और वे अबाध प्रचारित होते रहते हैं। बस इसी लिए नीचे कुछ लिखा है।
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Posted by Rohit Dhankar